अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में ।
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में । है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।।१।। मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हें पा जाऊँ मैं । अर्पण कर दूँ जगती भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।। या तो मैं जग से दूर रहूँ और जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ । इस पार तुम्हारे हाथों में, उस पार तुम्हारे हाथों में ।। यदि मानुष ही मुझे जन्म मिले, तब तव चरणों का पुजारी बनूँ । मुझ पूजक की इक-इक रग का, हो तार तुम्हारे हाथों में ।। जब-जब संसार का बन्दी बन, दरबार तुम्हारे आऊँ मैं । हो मेरे पापों का निर्णय, सरकार तुम्हारे हाथों में । । मुझ में तुझमें है भेद यही, मैं नर हूँ तू नारायण है । मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में ।। https://youtu.be/pmPMb2y3dow